19) वो इंग्लिश वाले सर ( यादों के झरोके से )
शीर्षक = वो इंग्लिश वाले सर
एक बार फिर आप के समक्ष हाजिर हूँ, अपनी पुरानी यादों को आप सब के साथ साँझा करने के लिए , इस बार मैं अपने बचपन के किससे नहीं बल्कि कुछ और साँझा करने आया हूँ
आज मैं आप सब के सामने अपने अध्यापक के बारे में बताने आया हूँ, वैसे तो आज जिस मक़ाम पर पहुंच पाया हूँ अपनी जिंदगी में, उस मक़ाम तक पहुंचाने में बहुत सारे अध्यापकों ने अपनी अहम् भूमिका निभाई और अपना कीमती समय मुझे देकर शिक्षा जैसी अनमोल चीज को पाने का अवसर दिया
वैसे तो सब ही अध्यापक बहुत अच्छे होते है, उनका हर समय यही प्रयत्न रहता है की उनका छात्र जीवन की सफलता हासिल करें और वो उसे अंधकार से निकाल कर उजालों में ला खड़ा करें
लेकिन कभी कभी कुछ अध्यापक ऐसे होते है , जिनकी छाप विद्यार्थियों के दिल पर छप जाती है ऐसे ही एक अध्यापक का ज़िक्र मैं अपने संस्मरण में करने जा रहा हूँ, उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगा
तो आइये बताता हूँ आपको अपने इंग्लिश वाले सर के बारे में, जो की अब इस दुनिया में तो नहीं रहे लेकिन उनकी बाते हमेशा मेरे दिल और दिमाग़ में जिन्दा है
उनका नाम तो मैं नहीं बताना चाहता लेकिन उस नाम का वर्णन ज़रूर करूंगा जिससे उन्हे कोई भी बा आसानी जान जाता था और वो नाम था " दद्दा सर "
हमारा उनसे तार्रुफ ( परिचय ) हाईस्कूल की कोचिंग से हुआ था , क्यूंकि वो एक रिटायर अंग्रेजी के अध्यापक थे जो घर से टूशन पढ़ाने का काम करते थे
हमारे स्कूल में भी एक अंग्रेजी के अध्यापक थे लेकिन वो टूशन नहीं पढ़ाते थे , जो भी थोड़ा बहुत पढ़ाते थे स्कूल में ही पढ़ाते थे
हम दसवीं में कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते थे अपनी पढ़ाई को लेकर इसलिए हमने दद्दा सर की कोचिंग ज्वाइन कर ली क्यूंकि उनके बारे में सुना था की वो बहुत अच्छा पढ़ाते है और उनके द्वारा पढ़ाया गया बच्चा हमेशा अंग्रेजी में प्रथम आता है अगर वो दिल लगा कर उनके द्वारा सिखाये गए नियमों का पालन करें
जो की सही था, हमने भी हाईस्कूल में सब विषयो में अच्छे अंक लाने के साथ साथ अंग्रेजी में भी प्रथम अंक लाये थे
अब चलते है उनके बारे में बताने , वो 50 की उम्र पार कर चुके थे , और अपने घर की बनी बैठक में बच्चों को पढ़ाया करते थे
हाईस्कूल में होने की वजह से और साथ ही साथ हमें अन्य सब्जेक्ट जिनमे गणित और विज्ञान शामिल थे और उनकी टूशन भी हमें लेना पडती थी जिसके कारण हमारे पास सुबह के अलावा कोई दूसरा समय नहीं था, समय भी सुबह के 6 बजे और वो भी सर्दी में
जहाँ तक याद है जब हमने कोचिंग शुरू की थी तब अक्टूबर का महीना था लेकिन जैसे जैसे सर्दी आती गयी दिन और छोटे होते गए जिसके चलते सर्दी भी अपने उरूज पर थी
इतनी सर्दी में जहाँ हम लोग काँपते कभी कभी गर्म रजाई को छोड़ कर बाहर ठण्ड में पढ़ाई करने जाने से कोफ्त खाते वही वो हमारे अध्यापक कम्बल ओढे बैठक में बैठ कर हमारे आने का इंतज़ार करते ताकि वो हमें पढ़ा सके , उनकी वजह से हमारी पढ़ाई ख़राब ना हो जाए
मुझे याद है उनका एक छोटा सा पोता था जो हरदम उनके पास बैठा रहता और उनकी मूंछो से खेलता रहता, शायद वो उनके साथ खेलना चाहता था लेकिन वो हमारे खातिर उसे भी अनदेखा कर देते थे
हाथ में चाय का गर्म कप पकडे काँपते हाथो से वो हमें अंग्रेजी पढ़ाते और हमारी गलती पर हमें ज़ोर से डांट लगा देते और कभी कभी तो मार भी देते और कहते " मूर्ख कही के, इतना आसान सेंटेंस तुमसे नहीं बन रहा है "
सबसे ज्यादा डांट डायरेक्ट और इंडायरेक्ट बनाने में पडती और कभी कभी एक्टिव पैसिव बनाने में हमेशा थोड़ी बहुत कमी रह जाती, कभी इस की जगह आर लगा देते थे तो कभी कुछ और
उनके द्वारा सिखाये गयी हर एक चीज आज भी याद है, उनकी कोचिंग में सबसे ज्यादा मजा आता था शायद इसी कारण हमने 11 वी और 12 वी में भी उन्ही से अंग्रेजी की कोचिंग पड़ी थी , बताता चलू वो हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखते थे लेकिन उन्होंने कभी भी अपना ज्ञान मुझे और मेरे मुस्लिम दोस्तों को बाँटने में धर्म का बहाना नहीं बनाया उनके लिए जैसे और अन्य विद्यार्थी थे वैसे ही मैं और मेरे दोस्त बल्कि उन्हे तो मुझसे अंग्रेजी में टॉप आने की उम्मीद थी जो की मैंने भरपूर कोशिश के बाद कर भी लिया था
आज मेरी आँख नम हो गयी उनका ज़िक्र करते हुए , भले ही आज वो हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका ज्ञान जो उन्होंने हमें सिखाया आज भी ज्यो का त्यों है और उस कोचिंग में अपने साथियों के साथ बिताया हर लम्हा फिर वो लड़के हो या लड़कियां एक याद गार लम्हें की तरह मेरी यादों के संदूक में हमेशा हमेशा के लिए कैद है
ऐसी ही किसी यादगार लम्हें का ज़िक्र आप के साथ करूंगा जब तक के लिए अलविदा
यादों के झरोखे से
Gunjan Kamal
17-Dec-2022 09:08 PM
शानदार
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Sachin dev
14-Dec-2022 04:01 PM
OSm
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